मैंने लोगों को समझने के क्रम में,
खुद को हर बार दुःख और अंतर्द्वंद से जूझते पाया है।
खुद की खोज : बाह्या जगत से अंतर्जगत की यात्रा हम क्या है? क्यों हैं? ऐसे तमाम प्रश्नों पर कुछ शब्द! स्वागत है आपका विचारों की दुनिया में..
मैं जानता हूं तुम एक दिन चले जाओगे बहुत दूर कितना दूर नहीं जानता शायद इतना कि मैं जान सकूँ तुम्हारा जाना क्या होता है शायद इतना...