Saturday, October 4, 2025

"तुम्हारें जाने के बाद"





मैं जानता हूं तुम एक दिन चले जाओगे
बहुत दूर
कितना दूर नहीं जानता
शायद इतना कि मैं जान सकूँ 
तुम्हारा जाना क्या होता है
शायद इतना मैं जान पाऊँ
तुम्हारा होना क्या होता है। 

और आज जब तुम चले गए हो
मुझे ठीक - ठीक एहसास हो गया है कि तुम चले गए हो 
आज तुम्हारें कपड़े, जूते, और किताबें सब व्यवस्थित हैं 
हो भी क्यों ना 
उन्हें भी पता है तुम चले गए हो। 

नीम की शाखाओं से तुम्हारा झूला टंगा है 
कुछ चिड़ियों का झुंड मंडरा रहा है 
झूले के पास 
पर सब में आज एकमत से चुप्पी है 
कोई चहचहाहट नहीं है 
चावल के दाने तो आज भी बिखरे हैं वहां 
पर शायद चिडियों का आज उपवास है 
या झूले का , पता नहीं 
शायद वो जान गए हैं        
तुम्हारा जाना क्या होता है 
और शायद मैं भी। 

और अब मैं जान गया हूँ 
तुम्हारें जाने के बाद क्या होता है। 

🖋️शिवेन्द्र 



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